Shodashi Things To Know Before You Buy
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कामपूर्णजकाराख्यसुपीठान्तर्न्निवासिनीम् ।
वास्तव में यह साधना जीवन की एक ऐसी अनोखी साधना है, जिसे व्यक्ति को निरन्तर, बार-बार सम्पन्न करना चाहिए और इसको सम्पन्न करने के लिए वैसे तो किसी विशेष मुहूर्त की आवश्यकता नहीं है फिर भी पांच दिवस इस साधना के लिए विशेष बताये गये हैं—
Her illustration isn't static but evolves with artistic and cultural influences, reflecting the dynamic nature of divine expression.
कन्दर्पे शान्तदर्पे त्रिनयननयनज्योतिषा देववृन्दैः
Because considered one of his adversaries had been Shiva himself, the Kama attained massive Shakti. Lacking discrimination, the man commenced making tribulations in every one of the a few worlds. With Kama owning so much electrical power, and While using the Devas experiencing defeat, they approached Tripura Sundari for support. Taking on all her weapons, she billed into battle and vanquished him, Hence conserving the realm of your Gods.
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥६॥
The Mantra, Conversely, is really a sonic representation of your Goddess, encapsulating her essence by sacred syllables. Reciting her Mantra is believed to invoke her divine existence and bestow blessings.
लक्ष्या मूलत्रिकोणे गुरुवरकरुणालेशतः कामपीठे
They had been also blessings to achieve materialistic blessings from distinct Gods and Goddesses. For his consort Goddess, he enlightened humans With all the Shreechakra and so that you can activate it, a person should chant the Shodashakshari Mantra, which happens to be also known as the Shodashi mantra. It is said to be equivalent to many of the sixty four Chakras place together, coupled with their Mantras.
हस्ते पाश-गदादि-शस्त्र-निचयं दीप्तं वहन्तीभिः
ऐसी कौन सी क्रिया है, जो सभी सिद्धियों को देने वाली है? ऐसी कौन सी क्रिया है, जो परम श्रेष्ठ है? ऐसा कौन सा योग जो स्वर्ग और click here मोक्ष को देने वाला? ऐसा कौन सा उपाय है जिसके द्वारा साधारण मानव बिना तीर्थ, दान, यज्ञ और ध्यान के पूर्ण सिद्धि प्राप्त कर सकता है?
कालहृल्लोहलोल्लोहकलानाशनकारिणीम् ॥२॥
इसके अलावा त्रिपुरसुंदरी देवी अपने नाना रूपों में भारत के विभिन्न प्रान्तों में पूजी जाती हैं। वाराणसी में राज-राजेश्वरी मंदिर विद्यमान हैं, जहाँ देवी राज राजेश्वरी(तीनों लोकों की रानी) के रूप में पूजी जाती हैं। कामाक्षी स्वरूप में देवी तमिलनाडु के कांचीपुरम में पूजी जाती हैं। मीनाक्षी स्वरूप में देवी का विशाल भव्य मंदिर तमिलनाडु के मदुरै में हैं। बंगाल के हुगली जिले में बाँसबेरिया नामक स्थान में देवी हंशेश्वरी षोडशी (षोडशी महाविद्या) नाम से पूजित हैं।
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥१०॥